Wednesday, 23 August 2017

DO PAL KI HAI YE ZINDAGANI

दो पल की है ये जिन्दगानी 


दो पल की है ये जिन्दगानी है 
फिर तो सिर्फ एक कहानी है 
यह जिन्दगी तो है पानी का बुल बुला
हवा रुकते ही टूट जानी है 
कभी हादसे में कभी दुर्घटना में
यह सांसे थम जानी है
कल ही पढ़ा अखबार में
जा रहे थे अपनी मंजिल पर
किसको पता था की उनकी मौत आनी है 
कितने मासूम अनाथ हो गये  
कितनो के सुहाग खो गये 
कल तक जो परिवार खुशियों से भरा था 
आज आँखों में आंसू रह गये 
कितने ख्वाब कितने सपने हमेशा के लिए दफन हो गये 

जी लो जिन्दगी को जी भर के 
कल का हमे पता नहीं 
हर ख्वाब हर सपने कर लो पूरे 
फिर पता नहीं कल क्या हो 
क्यूकि दो पल की है ये जिन्दगानी  
फिर तो सिर्फ एक कहानी है





JOY'N'SUNNY
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