दो पल की है ये जिन्दगानी
दो पल की है ये जिन्दगानी है
फिर तो सिर्फ एक कहानी है
यह जिन्दगी तो है पानी का बुल बुला
हवा रुकते ही टूट जानी है
कभी हादसे में कभी दुर्घटना में
यह सांसे थम जानी है
कल ही पढ़ा अखबार में
जा रहे थे अपनी मंजिल पर
किसको पता था की उनकी मौत आनी है
कितने मासूम अनाथ हो गये
कितनो के सुहाग खो गये
कल तक जो परिवार खुशियों से भरा था
आज आँखों में आंसू रह गये
कितने ख्वाब कितने सपने हमेशा के लिए दफन हो गये
जी लो जिन्दगी को जी भर के
कल का हमे पता नहीं
हर ख्वाब हर सपने कर लो पूरे
फिर पता नहीं कल क्या हो
क्यूकि दो पल की है ये जिन्दगानी
फिर तो सिर्फ एक कहानी है
Super n fantastico thought
ReplyDelete