दोस्ती - एक अनमोल रिश्ता (कविता)
दोस्ती ने रिश्तो की अनमोल माला सजाई है
यह दोस्ती ईश्वर ने भी अपनाई है
तभी तो कृष्ण-सुदामा की दोस्ती
दुनिया में मिशाल बन पायी है
दोस्ती रिश्तो का प्यारा सा भवर है
जो हर सुख दुःख में साथ निभाती है
दोस्ती तो धर्म, ऊँच, नीच के भाव से परे है
जहां पे न जात-पात की सीमा आ पाई है
दोस्ती खून के रिश्तो से अलग है
इसने तो आँखों में ख्वाबो की दुनिया बसाई है
भीड़ से भरी दुनिया में अपनी अलग दुनिया सजाई है
बातो के सिलसिले से एक नई महफ़िल बनाई है
दोस्ती ने ही तो सिखलाया है
लड़कर मिलना रूट कर मानना
हर गीले शिकवे भूल कर
जीवन भर साथ निभाना
बदलते वक़्त में राहे भले ही बदल जाती है
दोस्ती अंत तक साथ निभाती है
जिसका नाम लेते ही चेहरे पे ख़ुशी आती है
दोस्ती तो है रहमत खुदा की
जो दिल से निभाई जाती है
Wooooow n beautiful
ReplyDeleteGud one
ReplyDelete