Wednesday, 30 August 2017

भक्ति या अन्धविश्वास - Devotion or superstition

भक्ति या अन्धविश्वास 



भारत एक ऐसा देश है जहाँ पर विभिन्न प्रकार की संस्कृति रिति रिवाज को मानने वाले लोग है यहाँ के लोगो को भगवन से बहुत आस्था है, यहां पर भगवन के प्रति अटूट विश्वास है मरने के बाद मोक्ष को प्राप्त करने जैसी मान्यता है लेकिन हर रोज समाज में ऐसी भी गतिविधि देखने को मिलती है जिसमे भक्ति के नाम पर लोगो को गुमराह करना तथा उनकी अटूट आस्था का कुछ लोग भगवन के नाम पर फायदा उठा रहे है। आज देखा जाये तो कुछ लोग संत का चोला पहन कर लोगो को लूटने का कार्य कर रहे है। 
इसमें सारा कसूर ढोंगी पाखंडी बाबा का ही नहीं है, इसमें कसूर तो हमारा है जो उन ढोंगी पाखंडी बाबा के बातो में सहज ही आ जाते है, हम भक्ति के नाम पर अन्धविश्वास का शिकार हो जाते है। अन्धविश्वास एक ऐसी समस्या है जिसका समाधान करना मुश्किल है। कहते हे ना सोये हुए को जगाना आसान है लेकिन सोने का नाटक करने वालो को उठाना मुश्किल है। विश्वास इंसान अपनों पर भी नहीं करता लेकिन उन पाखंडी बाबा, जो भगवन के नाम पर किसी की भी जिंदिगी से खिलवाड़ करते है उनपर हम आसानी से विश्वास कर लेते है। विश्वास टूट कर बिखर जाता है, लेकिन अन्धविश्वास की जडे इतनी मजबूत होती है कि वहा खडा ही रहता है इसने अपनी जडे समाज में इस कदर मजबूत कर ली है कि, इसको निकलना मुश्किल है। मनुष्य सगे से सगे रिश्ते पर विश्वास नहीं कर सकता लेकिन भक्ति के नाम पर जो अन्धविश्वास समाज में फैला है उसका शिकार हो जाता है फिर चाहे वह पढ़ा लिखा हो या अनपढ़। 

हम भक्ति में इतना विश्वास करते है की किसी भी बाबा को हम अपना गुरु, अपना पैगम्बर और यहां तक अपना आराध्य भी मान लेते है और उनके मार्ग दर्शन में चलने लगते है लेकिन यह कहा तक सही है लेकिन हमे चलचित्र (Television) या समाचार पत्र (News Paper) के माध्यम से पता चलता है की बाबा ने किसी मासूम के साथ शर्मसार हरकत की, किसी को भक्ति के नाम पर लूटा और किसी को जादू टोन के नाम पर ढगा। उदहारण के तौर पे, एक बाबा यह बताते है की आप समोसा खाओ, आप वह मिठाई खाओ जो अपने उस दुकान पर देखी थी आपकी कृपा जो रुकी हुई है वो आने लगेगी। काले पर्स में 10 रूपए रख लो गरीबी दूर हो जाएगी, अगर ऐसा होता तो हर गरीब माला-माल हो जाता, पर यह तो उस बाबा द्वारा फैलाया अन्धविश्वास है। लेकिन बाबा इस से अपना कारोबार चलाते है धन दौलत कमाते है और भगवन के नाम पर भोले-भाले भक्तो को लूटते है 

अगर लोगो को पता चल भी जाए की वह जिस बाबा को मानते है, वह ढोंगी पाखंडी है पर उस बाबा के प्रति लोगो का अन्धविश्वास कम नहीं होता, लोग उस बाबा के लिए मरने और मारने को तैयार हो जाते है, इस से उस बाबा का तो कोई नुकसान नहीं होता पर आम इंसान इसकी चपेट में आ जाता है, कई लोगो की जान चली जाती है, कई लोग घायल हो जाते है और लाखो का नुकसान भी हो जाता है यह सब हमारे अन्धविश्वास के कारण होता है। उदहारण के लिए हल ही में एक बाबा को सुनाई गयी सजा के बाद भक्तो के अन्धविश्वास ने जो असामाजिकता फैलाई जिसमे कई लोग मर गये, कई घायल हो गये तथा सरकारी और निजी सम्पति का काफी नुकसान हुआ, नुकसान तो एक बार भरा भी जा सकता है, पर जो लोग मर गये उन्हें वापस तो नहीं लाया जा सकता और साथ ही भक्ति की आड़ में जो घिनोने काम बाबा ने किये इस से लोगो की भक्ति और आस्था को जो ठेस पहुंची है वह काफी दुख दायनी है। इस घटना ने समाज में धर्म और आस्था का मजाक बना कर रख दिया है।


 









भक्ति तो एक सरल और सहज मन का भाव है, भक्ति ना हाथ पैर से होती है ना मुँह से होती है अगर ऐसा होता तो विकलांग और गूंगे भक्ति नहीं कर पते, भक्ति ना ही धन दौलत से होती है नहीं तो कोई भी गरीब भक्ति नहीं कर पता। भक्ति तो सच्चे ह्रदय का भाव है और आत्मा से परमात्मा के प्रति श्रद्धा और विश्वास का मिलाप है। 






JOY'N'SUNNY
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