Monday, 14 August 2017

समझदारी की रोशनी

समझदारी की रोशनी 


कहानी एक बुजर्ग व्यक्ति और उसके तीन बेटो की है। बुजुर्ग व्यक्ति का नाम भानु सिंह और पहले बेटे का नाम वीर, दूसरे का नाम सोम और तीसरे बेटे काम राम था। भानु सिंह एक ज़मींदार था और उसके पास बहुत सम्पति थी। एक दिन अचानक भानु की तबियत बहुत ख़राब हो जाती है। भानु के बेटे घर पे इलाज के लिए वैध को बुलाते है भानु का इलाज काफी दिन चलता है लेकिन उसकी सेहत में कोई सुधार नहीं होता फिर एक दिन वेध भी कहता देता है की भानु की बिमारी ला इलाज है भानु को लगने लगता है की उसका अंतिम समय नजदीक आ गया है। 

तो भानु सोचता है की अब समय आ गया की इस घर का उत्तराधिकारी नियुक्त कर ले लेकिन वह चहता था की उसकी दौलत उस बेटे को मिले जो तीनो में सबसे ज्यादा समझदार है और जो परिवार की विरासत को आगे बढाने की काबिलियत रखता है इस लिए एक दिन भानु अपने तीनो बेटो को बुलाता है, और कहता है की मे तुम तीनो की परीक्षा लेना चाहता हूँ जो इस परीक्षा में पास होगा उसे इस घर का उत्तराधिकारी नियुक्त करूंगा।

भानु तीनो बेटो को एक रूपए का सिक्का देता है और उनको बोलता है की इस एक रूपए लेकर बाजार जाओ और कोई एसी वस्तु ले कर आओ जिस से पूरा कमरा भर जाये। तीनो बेटे भानु से अपना अपना सिक्का ले के वहा से चले जाते है। तीनो ही बहुत चिंतित और मुश्किल में थे की एक रूपए से ऐसी कौन सी वस्तु लाये जिस से की वह पूरा कमरा भर दे।

वीर सोचता है की क्यों ना इस एक रूपए से जुंवा खेलकर उसे अधिक रूपए बना ले और फिर सोचेंगे की क्या करे, इसी विचार के साथ वीर जुआ खेलने के लिए निकल पड़ता है और वंहा जाकर वीर वह एक रूपए हार जाता है। वीर दुखी और हताश होकर घर लौट आता है। उधर सोम एक रूपए में अपनी जमा पूंजी से कुछ और पैसे जोड़ कर बाजार से चारा (Feed) लेकर आता है और पूरा कमरा भर देता है। राम अपने एक रूपए के साथ बाजार जाता है वह से 50 पैसे की मोमबत्ती और 25 पैसे से माचिस लेता है और 25 पैसा बचा भी लेता है उस मोमबत्ती को कमरे के बीचो बीच रखकर उसको जला देता है इसकी रोशनी से पूरा कमरा रोशन हो जाता है।

भानु अपने दोनों बड़े बेटे वीर और सोम के प्रयासों से बहुत दुखी होता है पर अपने सबसे छोटे बेटे राम पर उसे गर्व और खुशी होती है भानु फैसला करता है की वह अपनी पूरी सम्पति अपने छोटे बेटे राम के नाम करेगा। 

 इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हम कोई भी काम सूझ-बूझ से करे तो हमे परिवार हो या समाज दोनों जगह मान सम्मान और प्रतिष्ठा मिलती है। लेकिन अगर हम कोई भी काम जल्द बाजी में बिना सूझ -बूझ के करते है तो इस से ना कोई   काम अच्छे से होता है और हमे कोई उपलब्धि भी नहीं मिलती।






JOY'N'SUNNY







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