श्रद्धा, भक्ति और शांति
एक गांव मे हरी लाल नाम का व्यक्ति रहता था, वह बहुत ही गरीब था जो अपने परिवार को एक वक़्त की रोटी बहुत मुश्किल से दे पाता था। वह अपने और परिवार की हालत से बहुत ही दुखी था, इसलिए एक दिन हरी लाल फैसला करता है की वह भगवान से भेट कर आपने और परिवार के दुखों को दूर करेगा। इसलिए एक दिन वह भगवान की खोज मे निकल जाता है। हरी लाल कई दिनों तक भूखा प्यासा भगवन की खोज करता है पर उसे कोई सफलता नहीं मिलती, एक रोज वह थक कर एक वृक्ष के निचे आराम करता है तो उसे वह पर एक मुसाफिर मिलता है। मुसाफिर हरी लाल की हालत देख उसको पूछता है की वह क्यों भटक रहा है और उसकी मंज़िल क्या है तो हरी राम उस मुसाफिर को बताता है की वह भगवान की खोज मे निकला है तो मुसाफिर बोलता है की मै तुम्हे भगवन तक पहुंचने का रास्ता बताता हूँ पर तुमको मेरा एक काम करना होगा, भगवन से मिलके मेरे लिए श्रद्धा मांगनी होगी। हरी लाल मुसाफिर की बात मान लेता है और उसके बताए रस्ते पर चल पड़ता है। इसी तरह रास्ते मे हरी लाल को दो व्यक्ति और मिलते है जो उसको भगवान का रास्ता बताते है पर उनकी भी कुछ शर्ते होती है की जब वह भगवन से मिले तो उनके लिए भक्ति और शांति माँगे। हरी लाल इन दोनों व्यक्तियों की भी बात मान लेता है।